दिल की बात

नव-नवोन्मेषशालिनी प्रतिभा की धनी और विलक्षण साहित्य-मनीषी डाॅ. कुमुद रामानंद बंसल को, फरवरी-2016 से पहले, मै ं बिल्कुल भी नहीं जानता था। हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला के त्रिवर्षीय निदेशक-काल (2016-2018) में ही, अनेकानेक साहित्यिक-अकादमी मंचों पर, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को साक्षात् देखने, जानने और समझने का सुअवसर
प्राप्त हुआ। फलस्वरूप, मेरे लिए आज, वे हिन्दी-अंग्रेज़ी में 40 से अधिक सतसाहित्यिक ग्रन्थों का समानधर्मा लेखन-सम्पादन-अनुवादन करने वाली एक कर्मयोगी रचनाकार हैं, आध्यात्मिक चेतना और अपराजेय व्यक्तित्व-सम्पन्न कालजयी कवयित्री हैं, प्रकृति और संस्कृति की घनीभूत साधक हैं, सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम् की कल्याणमयी त्रिवेणी हैं, भाव और विवेक की सुरक्षित शरणस्थली हैं, वागर्थ-सरोवर की मनमोहक हंसिनी हैं, और हैं एक प्रकाशपंथी-विश्वयात्री।
अरे, किस सोच में पड़ गये आप! अधिक सोचने की आवश्यकता नहीं हैं। उठाइए ‘कुमुद की कलम’ और देखिए चमत्कार कीजिए अनहदनादी रसास्वादन।


हिन्दी दिवस, २०
डा.ॅ लालचन्द गप्ु त ‘मगं ल’

(पूर्व) आचार्य एवं अध्यक्ष, हिन्दी-विभाग,

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र

9896707075