कुमुद की कलम

  • साहित्य की विविध विधाए
    Varn System : Original Concept and Distortions “Gentle Lady! What’s your name?” An unknown person, walking a few steps behind me asked this question on a warm winter morning of December 1984. My thoughts were interrupted. For me, walking is meditation. It is the time… Read more: साहित्य की विविध विधाए
  • काव्य-यात्रा
    बहुपठित-बहुलिखित डॉ. कुमुद बंसल, प्रथमतः और अन्ततः, एक कवयित्रीही हैं – अब तक प्रकाशित उनके 15 काव्य-संग्रहों से यह तथ्य स्वतः सिद्ध हो जाता है। आइये, उनकी प्रत्येक काव्य-कृति की राह से गुज़रकर सच्चाई जाननेका प्रयास करें – र े मन ! (2011)कुमुद रामानंद बंसल… Read more: काव्य-यात्रा
  • साहित्यशास्त्रीय अवधारणा
    बहुमुखी प्रतिभा-सम्पन्न डॉ. कुमुद रामानंद बंसल, एक प्रतिष्ठित साहित्यकारके साथ-साथ, एक विवकेशील साहित्यशास्त्री भी हैं। इस दृष्टि से उनका ‘चिन्तन’ नामक ग्रन्थ विशेष उल्लेखनीय है। ‘चिन्तन’ में कुमुद जी के वे, तीन दर्ज़न, आलेख संकलित हैं, जो दो वर्षों (2016 और 2017) की अवधि में,… Read more: साहित्यशास्त्रीय अवधारणा
  • आध्यात्मिक चेतना
    ‘अध्यात्म’ एक बहु-प्रचारित एवं बहुचर्चित विषय है। प्रातः-जागरण से लेकर रात्रि-विश्राम तक, किसी-न-किसी रूप में, इससे हमारा सामना हो ही जाता है। इस दृष्टि से डॉ॰ कुमुद रामानंद बंसल द्वारा प्रणीत, अध्यात्म से पूर्णतया सुवासित, ये पाँच पुस्तकें सर्वाधिक उल्लेखनीय हैं – रे मन! (2011),… Read more: आध्यात्मिक चेतना
  • व्यक्तित्व एव कृितत्व
    दर्शन-निष्णात, अध्यात्मनिष्ठ, मनोविज्ञानवेत्ता, संस्कृति-प्रेमी, प्रकृति-अनुरागी, विश्वयात्री, राष्ट्र-आराधक, सामाजिक चिन्तक, शिक्षाशास्त्री, अधिवक्ता, प्राध्यापक, इतिहासकार, अनुवादक, सम्पादक, प्रशासक, समाजसेवी, हरियाणा साहित्य अकादमी (पंचकूला) की पूर्व-निदेशक और अंग्रेज़ी-हिन्दी में चालीस से अधिक ग्रन्थों की लेखक/सम्पादक डॉ. कुमुद रामानंद बंसल का जन्म, श्रीमती शोभादेवी एवं श्री रामानंद बंसल की… Read more: व्यक्तित्व एव कृितत्व
  • जडो की तलाश मे
    इतिहास के प्रति हमारा दृष्टिकोण वैज्ञानिक कम, उबाऊ अधिक, सामान्य जन से दूर, कुछ गिनी-चुनी हस्तियों के इर्द-गिर्द घूमता है। इतिहास को राजा-महाराजाओं के गुणगान, युद्धों तक सीमित कर दिया जाता है। भवनों की कलात्मकता, राजभवनों के ऐश्वर्य एवं वैभव की चर्चा तो होती है;… Read more: जडो की तलाश मे
  • जब लगे लगन
    सुश्री कुमुद रामानंद बंसल एक बहुमुखी प्रतिभा का सुपरिचित-सुप्रतिष्ठित नाम है, जो साहित्य-जगत् में आदर के साथ लिया जाता है। सर्वप्रथम एक विदुषी सृजनशील-कवयित्री; द्वितीय सोपान एक कुशल प्रशासक; तृतीय सोपान सम्पादन-कला में निष्णात।जल से कुमुद का अनुराग अनन्य है। इस पृष्ठभूमि में ‘लागी लगन’… Read more: जब लगे लगन
  • मन जोगिया
    ‘मन जोगिया’ जब से पढ़ने का अवसर मिला है, मन उद्वेलित है। झनझनाहट-सी हुई, बार-बार पृष्ठों को इधर-से-उधर, उधर-से-इधर कर-करके फिर-फिर पढ़नें की तांघ – जैसे किसी अपने-से को पुनः पुनः देखने, मिलने और मिल-बैठ बतियाने की चाह।डॉ. कुमुद की सृजन-यात्रा की साक्षी रहने का… Read more: मन जोगिया
  • सवंदेना की लहर
    कविता के माध्यम से छोटे-छोटे लम्हों की तितलियाँ पकड़ने का प्रयास भी अनूठा होता है। प्रस्तुत काव्य संकलन ‘मन बंजारा’ ऐसा ही सफल प्रयास है। एक संवेदनशील कवयित्री के रूप में कुमुद बंसल ने अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर ली है। अपने उद्घोषित संकलपों के… Read more: सवंदेना की लहर
  • मेरा मन कहता है
    मेरे मन के आँगन में कई स्मृतियाँ आसन जमाए बैठी है ं। मैं उनका स्वागत करने को आतुर हूँ, लेकिन सभी स्मृतियाँ तो एक साथ स्वागत-कक्ष में आ नहीं सकतीं। हाँ! कुछ ऐसी होती हैं, जिन्हें रोकना असंभव होता है। ऐसी ही एक स्मृति है… Read more: मेरा मन कहता है
  • दिल की बात
    नव-नवोन्मेषशालिनी प्रतिभा की धनी और विलक्षण साहित्य-मनीषी डाॅ. कुमुद रामानंद बंसल को, फरवरी-2016 से पहले, मै ं बिल्कुल भी नहीं जानता था। हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला के त्रिवर्षीय निदेशक-काल (2016-2018) में ही, अनेकानेक साहित्यिक-अकादमी मंचों पर, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को साक्षात् देखने, जानने और… Read more: दिल की बात